पटना, 15 जून | संवाददाता
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ती नजर आ रही हैं। बिहार राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने उन्हें नोटिस जारी किया है, जिसमें पूछा गया है कि क्यों न उनके खिलाफ अनुसूचित जाति जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाए।
कौन सा वीडियो बना विवाद की जड़?
मामला उस वीडियो से जुड़ा है जो लालू यादव के जन्मदिवस समारोह के दौरान का बताया जा रहा है। वीडियो में कथित रूप से संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की तस्वीर के साथ अपमानजनक व्यवहार किए जाने का आरोप है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ और इस पर कड़ी प्रतिक्रिया भी देखने को मिली।
आयोग का नोटिस और चेतावनी
राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने अपने नोटिस में स्पष्ट किया है कि:
“आपको यह बताना होगा कि आपके खिलाफ SC/ST एक्ट के तहत कानूनी कार्यवाही क्यों न की जाए। 15 दिनों के भीतर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें, अन्यथा आयोग विधिसम्मत कार्रवाई करेगा।”
यह नोटिस आयोग ने सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और जन प्रतिक्रियाओं के आधार पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जारी किया है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और बढ़ती संवेदनशीलता
यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब राजनीतिक दलों के बीच दलित मतदाताओं को लेकर होड़ मची है। डॉ. अंबेडकर जैसी महापुरुषों की छवि से जुड़ा कोई भी विवाद, विशेषकर चुनावी मौसम में, व्यापक राजनीतिक असर पैदा कर सकता है।
संभावित कानूनी असर
अगर लालू प्रसाद यादव की ओर से आयोग को उचित और साक्ष्य-आधारित जवाब नहीं दिया गया, तो:
- SC/ST अत्याचार अधिनियम, 1989 के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है।
- यह मामला गंभीर श्रेणी के आपराधिक अभियोग में बदल सकता है।
- राजनीतिक छवि और दलित समुदाय के साथ रिश्तों पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है।






